प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में शौचालय निर्माण का अभियान शुरू करवाया था। उनकी पार्टी के कार्यकाल में मप्र में शौचालय के निर्माण का काम तेज गति से हुआ। लेकिन अब जब इसकी जांच हुई है तो यह बात सामने आई है कि 540 करोड़ रुपए के शौचालय केवल कागजों पर ही बना दिए गए। मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत योजना में बड़ा घोटाला हुआ है। तस्वीरों और पेपर पर तो 4.5 लाख शौचालय दिख रहे हैं। लेकिन स्पॉट पर जाने पर एक भी नहीं दिखा है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह वहां से पलायन कर गए या फिर कोई बड़ा घोटाला हुआ है। इसे बनाने में 540 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। जांच में यह बात सामने आई है कि जिन जगहों पर टॉयलेट निर्माण की बात कहीं जा रही है, वहां एक भी टॉयलेट नहीं मिले हैं। हालांकि प्रशासन के पास सभी टॉयलेट्स की जीपीएस-टैग की गई तस्वीरें हैं। पूरे खुलासे के बाद सरकार उन पर खर्च किए गए पैसे वसूलने की तैयारी कर रही है। दरअसल, यह घोटाला 2017 गुना में हुए शौचालय के दरवाजे के घोटाले की याद दिला रहा है। जहां 42,000 शौचालयों में दस किलो से भी कम वजन का दरवाजा लगवाया गया था। जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ था।
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की जांच में यह बात सामने आई है कि इन शौचालयों का निर्माण 2012-2018 के बीच हुआ है। अधिकारियों ने मानना है कि विभाग को जो तस्वीरें भेजी गई थीं, वह कहीं और से खींची गई थी। क्योंकि शौचालय के निर्माण के बाद विभाग को सबूत के तौर पर तस्वीर पेश करनी होती है। तस्वीर पेश कर अधिकारी और ठेकेदार निर्माण के पैसे निकाल लिए। इसका खुलासा तब हुआ जब बैतूल के लक्कडज़ाम पंचायत के ग्रामीणों ने अधिकारियों के पास जाकर शिकायत की। चार लाभार्थियों चैतराम, राम किशोर, कंसराज और शंभुदयाल को पता ही नहीं था कि उनके नाम पर शौचालय का निर्माण हुआ है। लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में वह शौचालय योजना के लाभार्थी हैं। यह ही नहीं शौचालय के साथ लाभार्थियों की तस्वीर भी थी। इनकी शिकायत पर जांच शुरू हुई तो पता चला कि ये तस्वीर पड़ोसी के घर की है। वहीं, जब लक्कडज़ाम पंचायत में विस्तार से जांच की गई तो सभी शिकायतें सही मिलीं।
बैतूल पंचायत के सीईओ एमएल त्यागी ने बताया कि जिस आरोपी ने गड़बड़ी की है, उससे सात लाख रुपए की वसूली की जाएगी। उसने वसूली के खिलाफ अपील की है, लेकिन जुर्माना बरकरार रखा गया है। एक बार वसूली होने के बाद, हम आईपीसी के तहत कार्रवाई करेंगे। इस रिपोर्ट के बाद विभाग अलर्ट हो गया। उसके बाद पंचायत और ग्रामीण विभाग ने पूरे राज्य में 4.5 लाख पेपर टॉयलेट की पहचान की। जिनका निर्माण सिर्फ कागजों पर हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि एक तरीके से 540 करोड़ रुपए के शौचालय गायब हैं। मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के उपनिदेशक अजीत तिवारी ने कहा कि 2012 में प्रदेश में एक सर्वेक्षण किया गया था और राज्य में बिना शौचालय के 62 लाख से अधिक गरीबी रेखा वाले घरों की पहचान की गई थी। 2 अक्टूबर 2018 को, इन सभी शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया था। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए शौचालय वास्तव में मौजूद हैं और 100 फीसदी पूर्ण हैं, हमने 21,000 स्वंयसेवकों का उपयोग करके एक सर्वेक्षण और भौतिक सत्यापन किया। इस सर्वेक्षण के दौरान, लगभग 4.5 लाख शौचालय गायब पाए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट के बाद अब दूसरी जांच भी जिला स्तर के अधिकारियों के द्वारा की जा रही है। हमें उम्मीद है कि यह कुछ महीनों में पूरी हो जाएगी। फिर हमारे पास स्वच्छ मिशन शौचालयों की संख्या का एक स्पष्ट चित्र होगा। हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा निर्मित शौचालय या संपत्ति वास्तव में मौजूद है कि नहीं। उल्लेखनीय है कि पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भी शौचालय निर्माण में हुए घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
ये है पेमेंट की प्रक्रिया
मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के उपनिदेशक अजीत तिवारी ने बताया कि शौचालय निर्माण में भुगतान करने की दो प्रक्रियाएं थीं। पंचायतों को घरों में शौचालय निर्माण पूरा करने पर पैसा दिया जाता था या फिर सरकार सीधे लाभार्थियों के खाते में शौचालय बनने के बाद सीधे 12,000 रुपए ट्रांसफर कर देती है। दोनों मामलों में यह स्पष्ट है कि पैसा कहां गया। इसलिए लापता शौचालयों के लिए जिम्मेदार लोगों को उन्हें वास्तविक निर्माण करना होगा, या फिर उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य यह है कि 2012 में पहचाने गए लक्ष्य को 100 फीसदी पूरा करना है। वहीं, जब तिवारी से पूछा गया कि घोटालेबाजों ने तकनीक को कैसे हरा दिया। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि जीपीएस लगभग छह मीटर तक ही सटीक है। ऐसा संभव है कि 2012 से पहले निर्मित शौचालयों के नाम पर छह मीटर के भीतर शौचालयों के चित्र अपलोड किए गए थे। दूसरी जांच पूरी होने के बाद चीजें अधिक स्पष्ट होंगी।
- राजेश बोरकर