मप्र में खेती-किसानी की आड़ में एक ऐसा गोरखधंधा चल रहा है जिसमें दलाल जमकर कमाई कर रहे हैं और खामियाजा मजदूर और किसानों को भुगतना पड़ रहा है। धार जिले के मनावर के बोरलाई गांव में हुई मॉब लिंचिंग की घटना इसका प्रमाण है।
प्रदेशभर में मनावर की घटना के बाद सियासी सरगर्मी चरम पर है। सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। लेकिन प्रदेश में खेती-किसानी की आड़ में जिस तरह का गोरखधंधा चल रहा है उससे मनावर जैसी घटना प्रदेश के किसी भी गांव में कभी भी हो सकती है। क्योंकि किसानों से लाखों रुपए एडवांस लेकर भी खेती का काम नहीं किया जाता। यही रकम वापस मांगने पर विवाद होता है, जो कई बार हिंसक टकराव में बदल जाता है। फसल कटाई और बुआई के लिए किसानों को मजूदरों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए मजदूरों से संपर्क करने पर वह एडवांस मांगते हैं, जो कि किसानों को देना ही पड़ते हैं। इसके बाद मजदूर आएंगे या नहीं और आएंगे भी तो पूरा काम करेंगे ही, इसकी गारंटी नहीं होती। इसके बाद किसान बकाया रकम के लिए चक्कर काटते रहते हैं।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में सबसे उपजाऊ क्षेत्र मालवा में खेती का काम करने वाले मजदूरों की संख्या लगातार घटती जा रही है। ऐसे में किसानों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए मजदूर सप्लायर निमाड़ से मजदूर लाने के नाम पर किसानों से मोटी रकम लेते हैं। मजदूर सप्लाई का यह गोरखधंधा वर्षों से चल रहा है। कई बार ऐसी स्थिति सामने आई है कि सप्लायर किसान से पैसा लेकर गायब हो जाते हैं और किसान मजदूर की आस में बैठे रह जाते हैं।
मनावर के बोरलाई में जघन्य हत्याकांड की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। बताया जा रहा है कि सुनील व ऊंकार सहित अन्य पांच मजदूरों से किसानों को पैसा लेना था। वे पैसा लेकर गुजरात चले गए थे। किसानों को सूचना मिली कि खिरकिया गांव में शादी कार्यक्रम में वे लोग आए हैं तो पैसा उनसे मिल जाएगा। हालांकि पैसों को लेकर वे पहले भी ग्रामीणों से बात कर चुके थे। पैसों को लेकर 5 फरवरी का दिन तय हुआ था। किसान गांव पहुंचे तो सुनील से 35 हजार लेना था। सुनील ने किसानों से कहा कि पिता से पैसों को लेकर बात कर लो। इस दौरान किसानों व ग्रामीणों के बीच में विवाद हो गया। किसान सुनील को कार में बैठाकर ले जाने लगे। ग्रामीणों ने अफवाह फैला दी कार में बच्चा चोर है। धीरे-धीरे भीड़ जुटती गई। जूनापानी से ज्यादा लोग कारों के पीछे लग गए। ग्रामीणों ने सुनील को कार में बैठा देखा था, लेकिन बोरलाई से करीब 12 किमी पहले कार रुकने पर किसान नीचे उतरे तो सुनील वहां से गायब हो गया। इसके बाद किसान कारों से भागे, लेकिन बोरलाई में कार में मजदूर नहीं होने के बावजूद भीड़ ने किसानों पर हमला कर दिया।
जानकारों का कहना है कि मालवा क्षेत्र में रोजगार नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में मजदूरों ने पलायन किया है। मालवा के मजदूरों द्वारा दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाने से वहां के किसानों के सामने मजदूरों का टोटा पड़ गया है। ऐसे में यहां के किसान या तो स्वयं या फिर मजदूर सप्लायर के माध्यम से निमाड़ के खंडवा, धार, बड़वानी, खरगोन आदि जिलों से मजदूर लाते हैं। अपने खेतों में काम कराने के लिए किसानों को मजदूरों को पहले ही एडवांस में रकम दी जाती है। बताया जाता है कि एकमुश्त रकम मिलने के बाद मजदूर शराबखोरी आदि दुव्र्यसन में लिप्त हो जाते हैं और पैसा खत्म होते ही गांव छोड़ देते हैं। ऐसे में किसान मजदूरों के यहां छापामार कार्यवाही करते हैं।
कुछ दिन पहले सांवेर के किसान 80 हजार रुपए नहीं देने पर मुकेश नाम के मजदूर को लेकर गए थे। जिसे गांव के कुछ लोग बाइक लेकर छुड़ाने गए थे। वे 50 हजार रुपए लेकर गए। जिस पर किसानों ने मुकेश को तो वापस भेज दिया था, लेकिन उनकी बाइक रख ली। इस बार भी किसानों को लगा था कि वह मजदूर को लेकर जाएंगे तो पैसा वापस मिल जाएगा, लेकिन इस बार लोगों ने विवाद के बाद घटना को अंजाम दिया। इसने इतना बड़ा रूप ले लिया कि इस बात का किसानों को भी अंदाजा नहीं होगा।
रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील के आलमपुर निवासी आनंद पटेल ने धान कटाई के 80 हजार एडवांस में दिए, इसमें से 12 हजार का काम नहीं किया गया। बाकी राशि भी नहीं मिली। अब फिर से एडवांस मांगा जा रहा है। इसी तरह उज्जैन जिले के मुंजाखेड़ी गांव के किसान शिवनारायण ने फसल कटाई के लिए 5 लाख रुपए दिए, लेकिन मजदूर नहीं आए। पैसे वापस मांगे तो केस में फंसाने की धमकी मिली। तबसे वह यहां-वहां भटक रहा है।
तीन दिन पहले ही बन गई थी योजना
घायल रवि पटेल के भाई विक्रम पटेल ने बताया कि पीडि़तों ने खेतों में काम करने के लिए मजदूरों को 50-50 हजार रुपए दिए थे। कुल तीन लाख रुपए एडवांस दिए थे। इन्हें छह महीने काम करना था, लेकिन तीन-चार दिन में वापस चले गए। बार-बार तकादे के बाद भी नहीं आए। एक दिन मजदूरों ने खुद फोन लगाकर कहा कि गांव आकर पैसे वापस ले जाओ। भाई घर से निकले। साथ में विनोद मुकाती थे। रवि और विनोद रिश्ते में साला-बहनोई हैं और कुम्हारखेड़ा के रहने वाले हैं। बाकी लोग लिंबापिपल्या के थे। हमें 11 बजे के लगभग फोन आया। वे बहुत घबराए हुए थे। ऐसा लग रहा था कि वे भाग रहे हैं। बोले- ये लोग हमें मार डालेंगे, हम नहीं बचेंगे। कुछ हो तो व्यवस्था करो। हमने तुरंत थाने फोन किया। 100 नंबर पर भी लगाया। इसके बाद आसपास के गांवों में रहने वाले परिचितों को कॉल किया कि जल्दी वहां पहुंचो, कुछ गड़बड़ हो गई है।
- बृजेश साहू