20-Jan-2017 08:25 AM
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एक तरफ सरकार ने हर सिर को छत देने का संकल्प लिया है। वहीं दूसरी तरफ मप्र हाउसिंग बोर्ड की लापरवाही, लेटलतीफी और निष्क्रियता के कारण सैकड़ों लोगों के घर का सपना अपना नहीं बन पा रहा है। आलम यह है कि अपने जीवनभर की कमाई बोर्ड की आवास योजनाओं में लगा देने के बाद भी लोगों को अपने घर के लिए बोर्ड के दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ऐसे ही लोगों में राजधानी भोपाल के शिवाजी नगर में निर्माणधीन तुलसी, कीलनदेव और महादेव अपार्टमेंट में फ्लेट्स बुकिंग कराने वाले करीब 400 लोग शामिल हैं। तुलसी टॉवर में 100 फ्लैट, कीलनदेव प्रोजेक्ट में 196, महादेव अपार्टमेंट में 96 फ्लेट्स हैं। आलम यह है कि वर्ष 2010 में लॉन्च यह प्रोजेक्ट तीन साल यानी 2013 में पूरा हो जाना चाहिए था। उस समय महादेव अपार्टमेंट के 96 फ्लैट्स की कीमत 28 से लेकर 60 लाख रुपये के बीच रखी गई थी। इसी तरह कीलन देव टॉवर में 196 फ्लैट्स की कीमत 35 से 70 लाख रुपये और तुलसी टॉवर में भव्य 100 फ्लैट्स की कीमत 65 से 85 लाख के बीच रखी गई थी। लेकिन 3 साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी उन्हें नहीं बताया जा रहा है कि आखिर कब तक उन्हें उनके आवास सौंपे जाएंगे। जबकि अनुमान से 40 प्रतिशत ज्यादा पैसे का भार उपभोक्ताओं पर थोपा जा चुका है। ज्ञातव्य है कि रोटी, कपड़ा और मकान एक आम व्यक्ति की जररूत है। रोटी-कपड़े का जुगाड़ तो वह जैसे-तैसे कर लेता है लेकिन, मकान एक बड़ी समस्या है। महंगाई के कारण शहरी इलाकों में तो मध्यमर्गीय परिवार के लिए स्वयं का मकान बनवाना मुश्किल होता जा रहा है। प्रदेश में आवासों की कमी की समस्या को हल करने के लिए वर्ष 1972 में हाउसिंग बोर्ड की स्थापना की गई थी। लेकिन बोर्ड अपनी उपयोगिता पर खरा नहीं उतर रहा है। बोर्ड की जो भी योजना शुरू होती है वह समय पर पूरी नहीं होती है। जब योजना पूरी होती है तो उपभोक्ताओं से तय मूल्य से 50 प्रतिशत से अधिक तक की वसूली भी की गई है। ऐसे कई मामले न्यायालय और बोर्ड के अधीन विचाराधीन हैं। रिवेरा का फैसला आते ही 10 साल से अधिक का समय लग गया।
अपराध किसी का
दंड किसी को
मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड में मकानों की कीमत बढ़ाने का दंडनीय अपराध तत्कालीन आयुक्त, अफसर और इंजीनियरों ने मिलकर किया लेकिन दंड मिला हितग्राहियों को-जिन्होंने 16 प्रतिशत से लेकर 22 प्रतिशत तक ब्याज भुगता और प्रोजेक्ट में देरी के कारण आज तक ब्याज भुगतते हुए बोर्ड के चक्कर काट रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड में मकान बुक कराने वाले ज्यादातर सरकारी और प्राइवेट नौकरी वाले हितग्राही होते हैं। जिनकी आमदनी का स्रोत वेतन, जीपीएफ और लोन आदि है। हाउसिंग बोर्ड का प्रोजेक्ट लोन लेकर बुक कराया जाता है। जो लोन बैंक से लिया है उस पर तो ब्याज चढ़ता ही है, हाउसिंग बोर्ड भी किस्त समय पर न देने की स्थिति में 14 प्रतिशत ब्याज वसूलता है। वहीं हितग्राही के जमा पैसे पर 7 प्रतिशत ब्याज देता है, लेकिन हितग्राही की कमर उस वक्त टूटती है, जब ऊंची ब्याज दरों पर लोन चुका रहे हितग्राही को यह फरमान सुनाया जाता है कि कलेक्टर गाइडलाइन के कारण जमीनों के दाम बढऩे से प्रोजेक्ट की कीमत दोगुनी हो चुकी है। लेकिन वह हाउसिंग बोर्ड से टकरा नहीं सकता। क्योंकि हाउसिंग बोर्ड सरकारी भू-माफिया है क्योंकि कोई भी रियल स्टेट का धंधा घाटे का नहीं होता। तत्कालीन आयुक्त अफसरों की मिलीभगत से प्रोजेक्ट की बुकिंग तो ले ली परंतु आवश्यक अनुमतिया बगैर इस प्रोजेक्ट को चालू करना और आवंटियों से बुकिंग अमाउंट लेकर धोखाधड़ी हुई है। आवंटी कहते हैं कि यह चार सौ बीसी नहीं तो क्या है सरकारी एजेंसी समझकर हमने सरकार को पैसा दिया है और पैसे दिए हुए 7 साल हो गए हंै यह एक क्रिमिनल सजा के बराबर है।
कीलनदेव और तुलसी में बचा है आधा काम
शिवाजी नगर में विकसित हो रहे तुलसी टॉवर, कीलनदेव और महादेव में से महादेव परिसर मामूली कामों को छोड़कर पूर्ण हो गया है। जबकि कीलनदेव और तुलसी टावर में आधे के लगभग काम बचा हुआ है। तीनों परियोजनाएं बोर्ड ने 2010 में लांच की थीं। बोर्ड ने अपने विज्ञापन में 24 से 36 माह के बीच प्रोजेक्ट्स पूरे कर देने का भरोसा ग्राहकों को दिलाया था। बोर्ड ने 72 माह से ज्यादा समय में महादेव परिसर का काम पूरा किया। इस परिसर में 10 प्रतिशत के लगभग का काम अभी भी बाकी है। बोर्ड के वायदे के विपरीत 77 माह का वक्त दो अन्य परिसरों (कीलनदेव और तुलसी टॉवर) को लेकर बीत चुका है। ये कब पूरे हो पायेंगे? इसकी एक सुनिश्चित तारीख दे पाने में बोर्ड असमर्थ है। परिसरों में 400 के लगभग परिवारों ने अपने घर बुक किये। अपने घर का सपना प्रत्येक व्यक्ति देखता है। सपना देखने वाला जीवन भर की कमाई घर खरीदी में लगाता है। उपरोक्त प्रोजेक्ट में घर बुक करने वालों के साथ भी यही स्थिति है। घर का सपना देखने वाले बोर्ड द्वारा बुकिंग के वक्त तय की गई कीमत का पूरा अंश बोर्ड को जमा कर चुके हैं। बोर्ड ने घर देते वक्त महादेव अपार्टमेंट में 40 फीसदी के लगभग कीमतें बढ़ा दीं। कीमतों में अनाप-शनाप और तथाकथित नियमों का हवाला देकर बोर्ड द्वारा की गई वृद्धि ने लोगों के सपने को चकनाचूर कर दिया है। बोर्ड के फैसले के विरोध में महादेव परिसर के कुछ खरीददार कोर्ट गये हैं।
कीलनदेव टॉवर और तुलसी टॉवर के फ्लेटों में बुकिंग करने वालों को भी कीमतें बढ़ाने का आधा-अधूरा नोटिस बोर्ड भेज चुका है। कितनी कीमत बढ़ाई जा रही है? इसका खुलासा नहीं किया गया है। खरीददारों में हड़कंप और भारी निराशा का भाव है।
400 परिवार हो रहे हलाकान
प्राइवेट बिल्डर और भू-माफिया से ठगे जाने के डर से लोगों को हाउसिंग बोर्ड से काफी उम्मीद थी। सरकारी एजेंसी और मौके की जगह को देखते हुए प्रोजेक्ट में घर पाने के लिए जमकर होड़ मची थी। लॉटरी के जरिए आवंटन होना था। किस्मत ने जिसका साथ दिया उसे घर अलॉट हो गया। जिनके नामों की लॉटरी खुली उन्होंने भरपूर जश्न मनाया। जश्न मनाने वाले आज जार-जार आंसू बहा रहे हैं। दरअसल, छह सालों में हाउसिंग बोर्ड महज महादेव टावर का काम ही पूरा कर पाया है। हालांकि, कुछ काम आज भी महादेव परिसर में बचे हुए हैं। कुल 92 घरों में 2010 में घर बुक करने वाले चार-पांच लोगों ने ही सशर्त रजिस्ट्रयां कराई हैं। असल में महादेव परिसर में बुकिंग के वक्त की राशि में 40 फीसदी से ज्यादा दाम बोर्ड ने बढ़ा दिये हैं। लेटलतीफी खुद बोर्ड ने की और कीमतों में वृद्धि का बोझ ग्राहकों के सिर फोड़ा। प्रोजेक्ट लांच के वक्त तय की गई पूरी-पूरी कीमत चुका देने वाले कीलनदेव और तुलसी टावर के ग्राहकों के हाल बेहद बुरे हैं। असल में इन परियोजनाओं में अभी 50 फीसदी काम बाकी है। लेकिन 16 दिसंबर को निर्माण कंपनी एमबीएल का ठेका निरस्त होने से काम बीच में ही लटक गया है। हालांकि बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने फिर से काम शुरू करने की मंसा जाहिर की है। इस संदर्भ में अधिकारियों से चर्चा हो रही है।
उपभोक्ताओं पर कई तरह के डाले गए भार
उपभोक्ताओं का कहना है कि प्लाट या मकान का मूल्य निर्धारण सूची देखें तो यह साफ हो जाता है कि हाउसिंग बोर्ड की योजनाओं में प्लाट खरीदने वालों को कई और ऐसे भुगतान करने पड़ते हैं जिसके लिए वे सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं हैं। उदाहरण के लिए योजनाओं में जो प्लाट या मकान अनबिके रह जाते हैं उनमें लगने वाले संपत्तिकर, ब्याज के भुगतान की वसूली तो दूसरे उपभोक्ताओं में समान रूप से वितरित कर ही दी जाती है। बड़ा हास्यास्पद तथ्य यह है कि योजनाओं के दौरान होने वाले कानूनी विवाद में हुए खर्च की भरपाई भी उस उपभोक्ता से ही की जाती है जिसका उस कानूनी विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। हाउसिंग बोर्ड जमीन अधिग्रहण से लेकर उसको विकसित करने के दौरान सुपरवीजन चार्ज की वसूली तो करता ही है कंटनजेंसी के नाम पर भी एक अच्छी खासी राशि का डाका उपभोक्ताओं की जेब पर डाला जाता है। लागत मूल्य का 30 से 40 प्रतिशत तक जहां पहले ही वसूल लिया जाता है। वहीं बोर्ड की योजना के विज्ञापन में लगने वाले भारी-भरकम खर्चे की वसूली भी उपभोक्ताओं से ही की जाती है।
खामियाजा हम क्यों भुगतें
तुलसी टॉवर, कीलनदेव और महादेव अपार्टमेंट के आवंटी विगत दिनों हाउसिंग बोर्ड के दफ्तर पहुंचे और बोर्ड चेयरमैन कृष्णमुरारी मोघे व कमिश्नर नीतेश व्यास को व्यथा सुनाई। इन्होंने पूछा कि जब प्रोजेक्ट का काम बोर्ड की गलती से पिछड़ा है तो इसका खामियाजा हम क्यों भुगतें? बोर्ड बैठक में कीलनदेव व तुलसी अपार्टमेंट की कीमत मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन पर फ्रिज करने का प्रस्ताव आना था, लेकिन विरोध के चलते इसे टाल दिया गया। संचालक मंडल की बैठक में तय हुआ कि बोर्ड अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं में अब ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट लागू करेगा। इसके लिए केंद्र सरकार की एजेंसी ग्रिहा से अनुबंध किया जाएगा। बैठक के बाद मोघे ने संचालक मंडल के अन्य सदस्यों के साथ अनौपचारिक चर्चा की। बोर्ड मेंबर आवंटियों की मांग से सहमत नजर आए, लेकिन हल नहीं निकल सका। तीनों अपार्टमेंट के आवंटी 2013 की गाइडलाइन पर रेट फ्रिज करने की मांग कर रहे थे। महादेव अपार्टमेंट आवंटी एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. अशोक चड्ढा और कीलनदेव एसोसिएशन के अमित जैन सहित करीब पचास आवंटी अपने परिवार के साथ बोर्ड मुख्यालय पहुंचे थे। आवंटियों ने मोघे से कहा कि 2010 में लॉन्च योजना के लिए 2012 में वर्क ऑर्डर जारी हुआ। साफ है कि इसे लेट होना तय था। उधर बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि महादेव अपार्टमेंट 2015 में ही बनकर तैयार हो गया था। सारी अनुमतियां 2015 में ही ले ली गईं थीं। नई गाइडलाईन के अनुसार महादेव अपार्टमेंट के लिए जो नीति तय की गई है उससे आवंटियों को 15 लाख रुपए की राहत मिली है। जबकि महादेव के संदर्भ में डॉ. अशोक चड्ढा ने आरटीआई में जानकारी मांगी तो 90 दिन हो गए, लेकिन अभी तक जानकारी नहीं दी गई है।
अब 8 महीने बाद मिल पाएगा पजेशन
इसके पहले आवंटी आयुक्त नीतेश व्यास से मिलने पहुंचे। उन लोगों ने पूछा कि आखिर हमें अपना मकान कब मिलेगा। इस पर व्यास ने कहा कि नई एजेंसी जल्द ही काम शुरू करेगी। इसके लिए टेंडर निकाला जा रहा है। लेकिन वे यह नहीं बता सके कि बोर्ड आवंटियों को उनके फ्लेट्स कब तक सौंपेगा। हाउसिंग बोर्ड के कीलनदेव और तुलसी टॉवर्स का जितना काम बचा हुआ है, उसे पूरा करने के अब फिर से टेंडर होंगे। दोबारा टेंडर फाइनल होने के 8 महीने के बाद ही बोर्ड लोगों को फ्लैट्स के पजेशन दे सकेगा। हाउसिंग बोर्ड ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। दोनों टॉवरों का दोबारा मूल्यांकन हो चुका है। शार्ट टर्म में बोर्ड एक से अधिक कंपनियों को काम दिया जा सकता है। जिन्हें कम से कम 8 महीने के भीतर काम पूरा करना होगा। हाउसिंग बोर्ड के उपायुक्त एसके मेहर ने बताया दोबारा मूल्यांकन में प्रोजेक्ट की लागत में कोई अंतर नहीं आया है। पहले की लागत पर ही अगले ठेके के टेंडर डाले जाएंगे। काम भी जल्दी पूरा कराएंगे।
सांसत में कीलनदेव और तुलसी के आवंटी
हाउसिंग बोर्ड शिवाजी नगर में निर्माणाधीन महादेव अपार्टमेंट में 6 साल पहले की गई बुकिंग के मुकाबले चालीस फीसदी अधिक राशि वसूल रहा है। फ्लैट बुक करने वालों को नोटिस जारी किए गए हैं। बोर्ड का तर्क है कि रिवेयरा टाउनशिप के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए निर्देशों को आधार मानकर नई कीमतें तय की गईं हैं। बुकिंगधारियों का कहना है कि स्वतंत्र बंगलों व फ्लैट के लिए एक नीति कैसे लागू की जा सकती है। दरअसल, रिवेयरा टाउनशिप में बंगलों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के खिलाफ यहां के खरीदारों ने बोर्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। बोर्ड प्रोजेक्ट पूरा होने पर उस वर्ष की कलेक्टर गाइड लाइन के आधार पर कीमत वसूलता था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खरीददारों को उनके द्वारा पूर्व में जमा राशि पर ब्याज का लाभ देने और बुकिंग वाले वर्ष की कलेक्टर गाइड लाइन से निर्माण वर्ष तक 10 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने की नीति तय की गई। महादेव आवंटी संघ के अध्यक्ष अशोक चड्ढा कहते हैं कि महादेव अपार्टमेंट के लिए रिवेयरा टाउनशिप की नीति लागू करना समझ से परे है। हमने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाउसिंग बोर्ड के अपर आयुक्त एसके मेहर का दावा है कि महादेव टॉवर में 20 खरीदारों ने रजिस्ट्री करा ली है। इसमें से 2 परिवार रहने भी पहुंच गए हैं। वहीं चड्ढा का कहना है कि महादेव टॉवर में बोर्ड ने बाद में पेंट हाउस बनाए है जिन्हें सीधी बोली के तहत बेचा गया। उन खरीदारों ने रजिस्ट्री कराई है। डॉ. चड्ढा ने कहा जब तक गाइड लाइन से हटकर बढ़ाई गई कीमत वाले मामले का निराकरण नहीं होगा। कोई खरीदार रजिस्ट्री नहीं कराएगा। उधर कीलनदेव अपार्टमेंट सोसायटी के अध्यक्ष अमित जैन ने कहा कि बोर्ड अपनी लापरवाही का पैसा भी हमसे लेने की तैयारी कर रहा है। मई 2010 में हुई लॉटरी के समय दावा किया गया था कि महादेव अपार्टमेंट 24 कीलनदेव 30 और तुलसी अपार्टमेंट 36 महीने में बन कर तैयार हो जाएंगे। लगातार देरी हो रही है। प्रोजेक्ट में हो रही देरी के लिए बोर्ड के अधिकारी और निर्माण एजेंसियां दोषी हैं, लेकिन सजा हमें भुगतनी पड़ रही है।
इस माह तय हो जाएगी लागत
उधर बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि कीलनदेव और तुलसी के आवंटियों को अपने फ्लेट्स की वास्तविक कीमत कितनी देनी होगी वह इस माह तय हो जाएगी। उसके बाद आवंटियों को सूचित किया जाएगा कि उन्हें कितना भुगतान करना है। वहीं उपभोक्ताओं को डर है कि अपनी जीवनभर की पूंजी बोर्ड में जमा करने के बाद भी कहीं उन पर और बोझ न डाल दिया जाए।
गाइडलाइन के हिसाब
से होगा काम : मोघे
हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कृष्ण मुरारी मोघे तो सवाल सुनकर ही भड़क उठते हैं और कहते हैं कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट और कलेक्टर गाइड लाइन के बाहर नहीं जाएगा। जनता को 80 लाख का फ्लेट 60 लाख में मिल रहा है। बोर्ड यह भी कोशिश कर रहा है कि आवंटियों द्वारा समय पर पैसा नहीं देने पर लिया जाने वाला ब्याज भी कम किया जाए। वह कहते हैं कि सरकार का काम ठेकेदार की वजह से लेट हुआ है। एक आध साल में क्या फर्क पड़ता है। जब उनसे पूछा गया कि कलेक्टर गाइड लाइन का क्या होगा? किस हिसाब से आवंटियों से पैसा लिया जाएगा? प्रोजेक्ट्स में देरी के लिए गलती किसकी है? मकान कब मिलेगा? जमा पैसे पर ब्याज उतना ही मिलेगा जितना पैसा नहीं देने पर यह सब सवालों को उन्होंने नजर अंदाज करते हुए दो टूक शब्दों में यह कहा कि कुछ भी हो आवास तो सुप्रीम कोर्ट और कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से ही मिलेंगे।
2013 में पूरा भुगतान लेने के बाद भी बढ़ा दी 40 फीसदी कीमत
महादेव आवंती संघ के अध्यक्ष अशोक चड्ढा कहते हैं कि बोर्ड लोगों को सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराने के लिए बना है, लेकिन वह अपने उद्देश्य से भटक रहा है। वह कहते हैं कि महादेव अपार्टमेंट के आवंटियों से बोर्ड ने 2013 तक फ्लेट्स के सारे भुगतान ले लिए थे, लेकिन उसके बाद भी अभी तक फ्लेट्स नहीं सौंपे गए हैं। उस पर 40 फीसदी कीमत की बढ़ोतरी कर दी गई है। वह कहते हैं कि एक तरफ जहां प्राइवेट बिल्डर बुकिंग के समय तय कीमत पर ही नियत समय के भीतर मकान सौंप रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बोर्ड जानबूझकर अपने उपभोक्ताओं को परेशान कर रहा है। बोर्ड की इस धोखाधड़ी से परेशान कुछ लोग कोर्ट चले गए हैं।
विलंब पर जवाबदेही तय होगी : माया सिंह
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह ने मध्यप्रदेश गृह निर्माण मण्डल की आवास परियोजना के निर्माण में विलंब होने और समय पर उपभोक्ताओं को आवास नहीं देने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने इसके लिये मण्डल की जवाबदेही तय करने और निर्माण एजेंसी के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने को कहा। माया सिंह ने गत दिनों मण्डल की बोर्ड ऑफिस स्थित आवास परियोजना तुलसी, कीलनदेव और महादेव का निरीक्षण किया। उन्होंने तुलसी और कीलनदेव कॉम्पलेक्स का निर्माण अधूरा होने, कार्य की गति धीमी होने पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मण्डल की यह जिम्मेदारी थी कि वह निरंतर इन परियोजनाओं की प्रगति का आंकलन करे और तय समय पर लोगों को मकान मिलना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि इसमें कोताही की गयी है। श्रीमती सिंह ने इस संबंध में सभी जानकारियों के साथ मण्डल अधिकारियों को तलब किया है। उन्होंने कहा कि वे यह देखेंगी कि इन आवास इकाइयों के निर्माण में किस स्तर पर विलंब हुआ है। श्रीमती सिंह ने कहा कि ठेकेदार द्वारा अगर विलंब किया गया है, तो उसके खिलाफ समय रहते कार्यवाही की जाना चाहिये। मंत्री श्रीमती सिंह ने इस मौके पर उपस्थित आवास इकाइयों के उपभोक्ताओं को आश्वस्त किया कि उन्हें शीघ्र ही न्यायोचित आधार पर आवास का पजेशन दिलवाया जायेगा।
मंत्री को नहीं भेजी रिपोर्ट
नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री मायासिंह कहती हैं कि मैंने तीनों प्रोजेक्ट का दौरा कर अधिकारियों से चर्चा कर एडीशनल कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी जो मुझे अभी तक नहीं मिली है। जल्द ही जांच रिपोर्ट मंगाई जाएगी। आवंटियों की समस्या को देखते हुए बोर्ड अध्यक्ष और आयुक्त के साथ संयुक्त बैठक कर समस्या का समाधान निकाला जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाइन पर नीति
हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर नीतेश व्यास कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के आधार पर ही नई नीति बनाई है। यह बात आवंटियों को बता दी गई है। नई नीति में उन्हें काफी राहत दी गई है।
एमबीएल के साढ़े आठ करोड़ जप्त
हाउसिंग बोर्ड ने महादेव, कीलन देव और तुलसी टॉवर के निर्माण में देरी करने वाली एमबीएल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के साढ़े आठ करोड़ रुपए राजसात कर लिए है। इसकी कार्रवाई पूरी हो गई है। इसी तरह तुलसी टॉवर में देरी के बदले 3.50 करोड और कीलन देव टॉवर के निर्माण में देरी के बदले 5 करोड़ रुपए जप्त किए हैं।